नमस्कार दोस्तों, अगर आप सैटेलाइट फोन (Satellite Phone) के बारे में जानना चाहते हैं तो आप बिल्कुल सही वेबसाइट पर आए हैं, आपके मन में अगर सैटेलाइट फोन (Satellite Phone) के बारे में जानने की जिज्ञासा है, कि सैटेलाइट फोन क्या है सैटेलाइट फोन कैसे काम करता है एवं सैटेलाइट फोन और स्मार्टफोन में क्या अंतर है तो आज हम इन सवालों के अतिरिक्त सैटेलाइट फोन से संबंधित सारी जानकारी देंगे ।
सैटेलाइट फोन किसे कहते हैं, सैटेलाइट फोन कैसा होता है, सैटेलाइट फोन का उपयोग कहां कहां होता है ।
दोस्तों आपने अक्सर फिल्मों में देखा होगा कि विलन (खलनायक) जंगल में फोन लेकर बात कर रहा होता है जहां कोई टावर की सुविधा नहीं होती है और अपनी बातचीत करता है ।
आपको बता दें कि सामान्यता मोबाइल, सेलफोन का संचार ( मतलब आपकी बातचीत दूसरों से होना), मोबाइल टावर के द्वारा (मोबाइल टावर में रिपीटर के माध्यम से) होता है,
लेकिन सेटेलाइट फोन का संचार ( बातचीत, आंकड़ों का भेजा जाना या आंकड़ों को प्राप्त करना आदि ) सैटेलाइट अर्थात मानव निर्मित उपग्रह के माध्यम से होता है ।
सैटेलाइट फोन आपको कहीं भी बातचीत करने या आंकड़े भेजना या मैसेज भेजने या मैसेज प्राप्त करने की सुविधा देते हैं, चाहे आप सहारा का मरुस्थल में हो, पानी के अंदर हो, या पहाड़ी क्षेत्र में जहां पर मोबाइल टावर भी मौजूद ना हो,
क्योंकि सैटेलाइट फोन का संचार केवल उपग्रह के माध्यम से ही होता है इतनी सारी सुविधा होने के कारण ही सेटेलाइट फोन बहुत महंगे होते हैं ।
सामान्यतः घरों का लैंडलाइन फोन (Landline Phone) या ऑफिस का IP Phone – Internet Protocol ( IP Phone से आप इंटरनेट भी चला सकते हैं ) का संचार UTP Cable, OFC – Optic Fibre Cable के माध्यम से होता है,
मतलब अगर UTP Cable या OFC Cable कट जाने से या टावर में मशीनी गड़बड़ी हो जाने से आप बातचीत करने में असफल हो जाएंगे ।
लेकिन सैटेलाइट फोन से आप का संचार (बातचीत) होता रहेगा क्योंकि सिर्फ और सिर्फ सैटेलाइट फोन का संचार कृत्रिम उपग्रहों के माध्यम से होता है ना कि मोबाइल टावर, UTP Cable या OFC Cable के माध्यम से होता है ।
सैटेलाइट फोन के लाभ क्या है ।
सैटेलाइट फोन का उपयोग सेना द्वारा एवं आपदा (बाढ़ भूकंप) प्रभावित क्षेत्रों में लोगों के बचाओ अथवा सुरक्षा के लिए किया जाता है
क्योंकि आपदा एवं युद्ध की स्थिति मैं बिजली की व्यवस्था न होने पर मोबाइल टावर भी बंद हो जाते हैं, UTP Cable या OFC Cable के कट जाने या टूट जाने पर सैटेलाइट फोन को उपयोग किया जाता है।
एवं सैटेलाइट फोन को पहाड़ी क्षेत्रों में, जल में, वायु में आदि जगहों पर किया जाता है क्योंकि इसका नेटवर्क आपके आसपास के मोबाइल टावर के माध्यम से नहीं होता है बल्कि उपग्रह के माध्यम से होता है
इसे भी पढ़ें: रिपीटर क्या है और कैसे काम करता है ?
सैटेलाइट फोन का इतना फायदा देखते हुए भी, सैटेलाइट फोन का उपयोग सभी लोग क्यों नहीं करते हैं ?
दोस्तों अपने ऊपर तो पढ़ लिया होगा कि सैटेलाइट फोन का फायदे क्या है लेकिन फायदों के साथ में सैटेलाइट फोन के नुस्कान भी बहुत सारे हैं, तो चलिए सैटेलाइट फोन के नुस्कान भी देखते हैं ।
सैटेलाइट फोन में संपर्क संचार केवल 2 सैटेलाइट फोन के बीच में ही होता है एवं जब एक सैटेलाइट फोन से Signal (Message, बातचीत) भेजा जाता है
तो यह पहले उपग्रह में जाता है एवं यही भेजा गया Signal, उपग्रह के माध्यम से ही वापस, दूसरे सैटेलाइट फोन में भेजा जाता है,
इसप्रकार सिग्नल के जाने और आने में थोड़ा समय लग जाता है जिससे सैटेलाइट फोन पर बातचीत करने से थोड़ा Slow होती है
[जिस प्रकार आपके मोबाइल फोन से की गई बातचीत या भेजा गया मैसेज (Signal) पहले आपके क्षेत्र में मौजूद मोबाइल टावर में जाता है फिर उसी मोबाइल टावर के माध्यम से दूसरे मोबाइल फोन में वही भेजा गया Signal, जाता है ]
सैटेलाइट फोन आकार में बड़े एवं भारी होते हैं एवं यह फोन सामान्य फोन से महंगे होते हैं एवं कॉल रेट भी अधिक होती है।
इसे भी पढ़ें : ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है और कैसे काम करता है
INMARSAT क्या है
यह 72 देशों की सामुद्रिक प्रणाली है, इसका मुख्यालय लंदन में है एवं इसकी स्थापना 1979 में की गई और कार्य करना 1993 से शुरू किया गया ।
इसमें 4 उपग्रह, पृथ्वी की कक्षा में चक्कर लगाते हैं एवं इसका प्रयोग संवाद भेजने और प्राप्त करने में किया जाता है तथा जहाज की सही स्थिति का पता लगाने एवं बचाव कार्य में प्रयोग किया जाता है ।
इनमार सेट (INMARSAT) में, विद्युत संकेतों को उच्च आवृत्ति में भेजने के लिए ट्रांसमीटर (Transmitter) तथा संकेतों को प्राप्त करने के लिए रिसीवर (Receiver) लगा होता है
उच्च आवृत्ति के चुंबकीय तरंगे सीधी रेखा में चलती है इसलिए ट्रांसमीटर एवं रिसीवर को सीधी रेखा द्वारा, ऊंचाई पर जोड़ा जाता है ।
बहुत दूरी पर स्थित ट्रांसमीटर (Transmitter) और रिसीवर (Receiver) के बीच संचार करने के लिए उपग्रह प्रणाली का प्रयोग किया जाता है।
पहले Signal को, ट्रांसमीटर द्वारा भेजा जाता है एवं उपग्रह द्वारा प्राप्त (Receive) किया जाता है उसके बाद उपग्रह द्वारा वही Signal, रिसीवर (Receiver) को भेजा जाता है इस प्रकार उपग्रह, एक मोबाइल टावर की तरह कार्य करता है ।
इन 4 उपग्रहों में से, 2 अटलांटिक, 1 हिंद महासागर एवं 1 प्रशांत महासागर की कक्षा में स्थित है ।
इन उपग्रहों को निजी दूरसंचार तंत्र से जोड़ने के लिए पूरे विश्व में बहुत से भूतलीय Earth Station बनाए गए हैं, जहां पर ट्रांसमीटर (Transmitter) और रिसीवर (Receiver) दोनों, इन उपग्रहों से जुड़े रहते हैं।
इनमारसेट (INMARSAT) की मुख्यतय: 2 पद्धतियां हैं, इन्हीं पद्धतियों द्वारा INMARSAT पूरे विश्व में जल एवं वायु माध्यम में भी संचार सुविधा उपलब्ध कराता है ।
इनमारसेट (INMARSAT) मुख्य रूप से संचार सुविधा उपलब्ध कराता है।
इनमारसेट (INMARSAT) संपूर्ण विश्व में आंकड़ों का आदान प्रदान करता है।
इनमारसेट (INMARSAT) द्वारा 12 उपग्रहों के माध्यम से, यात्रा के दौरान संचार सुविधा उपलब्ध कराई जाती है।
इनमारसेट (INMARSAT) के माध्यम से, भारत सरकार ने समुद्रीय एवं आकाशीय संचार कायम कर रखा है
स्मार्टफोन और सैटेलाइट फोन में क्या अंतर है – Difference between satellite phone and smart phone। In hindi
स्मार्टफोन में संचार सुविधा अथवा सिग्नल का ट्रांसमिशन (Transmission) व रिसेप्शन (Reception) केवल टावरों में लगे रिपीटर द्वारा होता है जबकि सैटेलाइट फोन का संचार, उपग्रहों के द्वारा होता है ।
सैटेलाइट फोन आकार में बड़े, बजन में भारी होते हैं जबकि स्मार्ट स्मार्ट फोन सस्ते एवं हल्के होते हैं ।
सैटेलाइट फोन में कॉल दर ज्यादा होती है जबकि स्मार्ट फोन में कॉल दर सस्ती होती है ।
सैटेलाइट फोन का उपयोग गैरकानूनी क्यों है ।
भारत में वैसे समानतयः सैटेलाइट फोन का उपयोग करने पर प्रतिबंध है अपितु विदेशी भी भारत में सैटेलाइट फोन का उपयोग नहीं कर सकते हैं
किंतु अतिथि देवो भावः के सिद्धांत पर भारत में विदेशियों को अतिथि होने के कारण सैटेलाइट फोन का उपयोग करने पर छूट दी जा सकती है
किंतु भारत सरकार के पास यह अधिकार है कि सैटेलाइट फोन का उपयोग करने पर मना भी कर सकती है ।
अगर सैटेलाइट फोन भारत में प्रयोग किया जाता है तो वह भी आपको प्राधिकृत विक्रेता से सैटेलाइट फोन को खरीदना पड़ेगा और अगर आप दूसरे देशों से सैटेलाइट फोन को मंगाना चाहते हैं
तो इसके लिए आपको दूरसंचार विभाग से अनुमति लेनी पड़ेगी एवं भारत में INMARSAT Based सैटेलाइट फोन का प्रयोग किया जा सकता है,
ठुराया (Thuaya) एवं इरीडियम (iridium) कंपनी के सैटेलाइट फोन का आयात करना एवं प्रयोग में लाना भारत में पूर्ण प्रतिबंधित है ।
सैटेलाइट फोन की मनाही का मुख्य कारण, आतंकवादी गतिविधियों को रोकने के लिए, इसका उपयोग भारत समेत कई देशों में मना किया गया है
क्योंकि सैटेलाइट फोन को ट्रैक करना थोड़ा मुश्किल होता है इसके अतिरिक्त आंकड़े एकत्र करने में भी समस्या आती है क्योंकि यह पूरी तरह उस देश के उपग्रह पर निर्भर करता है जिससे यह सैटेलाइट फोन जुड़ा (Connect) होता है ।
अतः लोकल एजेंसीज (Local Agencies) बातचीत को ट्रैक करने में असमर्थ होती है इस प्रकार भारत में सैटेलाइट फोन पर प्रतिबंध है एवं इसका उपयोग, बिना अनुमति के करना, गैरकानूनी है ।
इसे भी पढ़ें : Server क्या है और कैसे Down होता है ।