OSI मॉडल क्या है, और 7 लेयर कौन सी हैं ?

OSI मॉडल क्या है – What is OSI Model  in hindi

दोस्तों आज  मैं  कंप्यूटर नेटवर्क का सबसे महत्वपूर्ण टॉपिक विस्तार से समझाने वाला हूं, आपने टॉपिक तो पढ़ ही लिया होगा कि OSI Model क्या है ।

OSI Model क्या है इस टॉपिक पर बाद में मैं जाऊंगा लेकिन सबसे पहले हम आपको बता दें कि इस मॉडल की हमें जरूरत क्यों पड़ी है ।

What is OSI Model and All Layers of OSI Model

इस मॉडल में  सामान्यतः आपने पढ़ा  ही होगा कि OSI मॉडल में 7 लेयर होती हैं ,

  1. एप्लीकेशन लेयर ( Application Layer)
  2. प्रेजेंटेशन लेयर  ( Presentation Layer)
  3. सेशन लेयर      ( Session Layer )
  4. ट्रांसपोर्ट लेयर   ( Transport Layer)
  5. नेटवर्क लेयर    ( Network Layer)
  6. डाटा लिंक लेयर ( Data Link Layer)
  7. फिजिकल  लेयर ( Physical Layer)

अब सोचने वाली बात यह है कि  इस मॉडल की जरूरत क्यों पड़ गई और यह भी पता है कि OSI Model   की इन सातों लेयर का अलग-अलग काम है ।

एवं दैनिक जीवन में हम लोग इस इंटरनेट फाइल डाटा आदि शब्द का सुनते रहते हैं  और एक जगह से दूसरी जगह जुड़ (Connect) जाना यह सब दिमाग में आता  रहता है ।

तो यहां पर मैं आपको उदाहरण के तौर पर बताना चाहूंगा कि आपके पास 2 Computer (System) है  और आपको एक कंप्यूटर से, एक File को Send करना है और दूसरा कंप्यूटर उस File को Receive कर रहा है ।

अथवा आपको कोई File को एक Drive  या Folder से, दूसरी Drive या Folder में  Send या Move करना है ( कोई File को एक जगह से दूसरी जगह पर Send या Move करनी हो ) तो हमारा Host एक ही है ।

अर्थात एक ही कंप्यूटर से जिसमें आप यह सारी चीजें कर रहे हैं File को Send करने के लिए  एक  Sender होगा एवं एक Receiver होगा जहां पर आप  File को Save कर रहे हो ।

इसी प्रकार अगर दो सिस्टम System है, एक भेजने वाला (Sender)  और दूसरा प्राप्त करने वाला (Receiver)  दोनों एक ही स्थान पर नहीं है तो हमें इन दोनों  System को इस प्रकार  से काम करवाना  होता है  जैसे कि वह एक ही Host पर काम कर रहे हो ।

अतः जिस प्रकार हमारे कंप्यूटर में हार्डवेयर एंड सॉफ्टवेयर लगे होते हैं  इसी प्रकार दूर पर स्थित इन दोनों सिस्टम (System) को जोड़ने (Connection) के लिए बीच में कोई ना कोई हार्डवेयर या सॉफ्टवेयर आ सकता है ।

Hardware एवं Software को लगा लेने अथवा Install कर ले कर लेने के बाद  हमें बहुत सारी चीजों को देखना होता है  जैसे कि Sender को File को Send करना है   और Receiver  को File को Receive करना है ।

इस प्रकार अगर Sender ज्यादा डाटा  को एक साथ Send कर देगा तो उसे कंट्रोल करने के लिए Flow Control की जरूरत पड़ती है और फाइल (Data) को Access करने के लिए Access Control की जरूरत होगी, डाटा को Error Free रखने के लिए , Error Control , इनकोडिंग (Encoding), डिकोडिंग (Decoding) और Security लगाने  की जगह Security Patch लगाए जाते हैं ।

ऐसे बहुत सारे Function के माध्यम से डाटा (Data) एक स्थान से दूसरे स्थान पर Send  किया जाता है  इन्हीं Function को हमें Hardware और Software के माध्यम से करना होता है और अगर इन्हीं Function को एक ही जगह पर करवाएंगे तो बहुत सारी समस्या आ सकती है इन समस्या के समाधान के लिए  उपर्युक्त 7 Layer विकसित की गई अर्थात OSI Model विकसित किया गया ।

OSI Model  की स्थापना कब हुई – ISO-OSI Model  क्या है

1978 में ISO (International Organization For Standarization) द्वारा OSI Model विकसित किया गया ।

ओ एस आई मॉडल को 7 लेयर में विभाजित किया गया है यह सातों लेयर आत्मनिर्भर हैं अर्थात एक दूसरे पर निर्भर नहीं होती हैं, लेकिन डाटा ट्रांसमिशन (Trans mission) और रिसेप्शन (Reception), एक लेयर से, दूसरी लेयर में होता है ।

What is OSI Model and All Layers of OSI Model

OSI मॉडल से ही हमें पता चलता है कि नेटवर्क के माध्यम से डाटा, फाइल, सूचना का ट्रांसमिशन व  रिसेप्शन कैसे होता है अर्थात File कैसे Send व Receive होती है ।

ओ एस आई मॉडल इन की सातों लेयर का काम अलग-अलग होता है और File, Data का एक Sysem से दूसरे System में इन लेयर के माध्यम से भेजा जाता है ।

यह मॉडल नेटवर्किंग और टेलीकॉम में बहुत काम आता है और अगर आप किसी भी तरह की कम्युनिकेशन की पढ़ाई कर रहे हैं तो यह टॉपिक आपको पढ़ना ही पड़ेगा यह बहुत ही रोचक टॉपिक है अगर इसको आप ने समझ लिया ।

आपको बहुत सारे आर्टिकल पढ़ने को मिलेंगे लेकिन जिस तरह से हम आपको यहां पर ओ एस आई मॉडल के बारे में बताने वाले हैं इससे आप भविष्य में  इस मॉडल को लेकर कभी भी नहीं (कोई भी Doubt नहीं रहेगा) भूलेंगे ।

दोस्तों क्या आप जानते हैं कि OSI मॉडल क्या है या OSI मॉडल  की परतें कौन-कौन सी है एवं OSI लेयर के क्या काम है अगर नहीं तो आज का टॉपिक बहुत ही महत्वपूर्ण एवं रोचक होने वाला है ।

तो दोस्तों आज हम हिंदी में सीखेंगे कि OSI मॉडल क्या है (What is OSI Model)  OSI मॉडल की परतें एवं उनके कार्य को समझने के लिए एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर में डाटा, फाइल के Transfer के बारे में बताता हूं ।

यह मॉडल नेटवर्क को Compatible करने के लिए केवल एक मॉडल ही नहीं है बल्कि इस मॉडल के द्वारा लोगों को नेटवर्क के बारे में समझ विकसित हो सकी है ।

इसलिए मैंने सोचा कि क्यों ना आप लोगों को इस मॉडल के बारे में विस्तार से समझाया जाए कि OSI मॉडल क्या है  तो चलते हैं  इस मॉडल की सभी लेयर के बारे में विस्तार से  एक-एक करके चर्चा करते  है ।

 

  1. एप्लीकेशन लेयर – What is Application Layer in hindi

एप्लीकेशन लेयर एक  खिड़की की तरह कार्य करती है जो OSI मॉडल की सबसे उच्च और  सातवीं में लेयर हैं आप ( User), एप्लीकेशन लेयर पर काम करते हैं ।

जितने भी आप Software, Application का इस्तेमाल करते हैं  चाहे  वह Facebook, Gmail, Chrome, Instagram या WhatsApp, Tik Tok, YouTube, Helo, Likee  आदि Application, यह सभी एप्लीकेशन लेयर पर ही काम करते हैं ।

एप्लीकेशन लेयर, आपको या यूजर को इंटरफेस कराना होता है जो कि अलग-अलग Layers के माध्यम से होता है ।

अगर आप कंप्यूटर या मोबाइल पर काम कर रहे हैं तो आप सॉफ्टवेयर (Application) के माध्यम से ही कुछ काम कर पाएंगे अर्थात आप (User) जो भी काम करता है वह एप्लीकेशन लेयर पर ही काम करता है ।

मान लो अगर आपको कोई Message, WhatsApp से भेजना हो तो व्हाट्सएप का प्रयोग करेंगे और या किसी को Mail करना हो तो Gmail के माध्यम से भेजेंगे या तो यहां पर WhatsApp और Gmail दोनों एप्लीकेशन लेयर पर काम  करते हैं इस Layer के माध्यम से ही हम Email या Messages को Store या Farword कर पाते हैं ।

बहुत सारे Protocol इस पर काम करते हैं अगर आप देखें तो यहां पर FTP काम करता है Http काम करता है ऐसे ही SMTP, NFS, Telnet  काम करता है  बहुत सारे Software  है जो इस लेयर पर काम करते हैं इसी एप्लीकेशन लेयर के माध्यम से User द्वारा कंप्यूटर से File को Access कर पाने में और File को Retrieve  कर पाने में सक्षम हो पाते हैं ।

 

  1. प्रेजेंटेशन लेयर – What is Presentation Layer in hindi

इस Layer का काम Data Translation, Data Presentation, Encryption, Decryption, Data Compression, Character Conversion  आदि होता है।

इसको अगर  मैं सामान्य भाषा में आप को  समझाऊं कि प्रेजेंटेशन लेयर क्या होता है तो दोस्तों मान लो कि आपके पास  कुछ Files है जिनके नाम abc.docx, abc.pdf, abc.mp3, abc.mp4, abc.html, abc.css आदि हैं 

जिनके नाम abc एक समान है और Extension  के नाम .docx, .pdf, .mp3, .mp4, .html, .css  अलग-अलग है।

अगर मैं आपसे कहूं कि यह सभी फाइल पर Double Click करके Open करो तो यह सभी Files अपने आप Extension के  आधार पर खुल जाएंगी 

जैसे .docx को Open करने के लिए MS Word में ओपन होगी और .mp3 वाली File को Open करोगे तो Music Player में Open होगी।

यह इन File को कौन बता रहा है कि कहां खुलना है  तो आपको बता दें कि यह Extension बताता है कि इन File को कहां खोलना है अर्थात इन Extension से  हमें पता चल रहा है कि यह फाइल खुलेंगे कहां, MS Word में दिखाना है या Music Player में  दिखाना है या VLC Player में दिखाना है या यह Files कैसे दिखाना है यह सब Presentation लेयर का काम होता है ।

अगर आप अपनी Files से Extension (.docx, .pdf, .mp3, .mp4, .html, .css आदि) को हटा दे तो Files को Open करने पर Unsupported Document दिखाएगा यानी अब इस Files को पता नहीं चल रहा है कि Files को कैसे दिखाना (Present) है उस समय आप क्या करोगे,

आप File  पर Right Click करोगे फिर Open With करोगे और अगर आपको यह पता है कि यह File कहां ओपन होगी तो आप उस  सॉफ्टवेयर का सिलेक्शन करके खोलोगे तो आपको बता दें कि यह प्रेजेंटेशन लेयर का काम है कि डाटा फाइल दिखाना कैसे है तो यह काम एक्सटेंशन (.docx, .pdf, .mp3, .mp4, .html, .css आदि) आपको बताता है, उपर्युक्त काम Presentation लेयर पर होता है।

  1. सेशन लेयर – What is Session Layerin hindi

यह Layer, Session को कंट्रोल करती है एवं Session को Establish, Maintain करने से लेकर, Session को Terminate करने तक की जिम्मेदारी  (Responsibilities) इसी Layer की होती है ।

यह End To End, Layer है यानी जब तक डाटा (File), रिसीवर (End) तक नहीं पहुंच जाएगा तब तक यह उसके संपर्क में रहेगा।

अगर डाटा कहीं भी Loss होता है तो आपके पास Message आ जाएगा जैसे Message Doesn’t Sent Successfully लेकिन जैसे Message रिसीवर के सेशन लेयर तक पहुंच जाएगा तो आपके पास Message आ जाएगा कि Message Sent Successfully,

तो आपको बता दें कि सेशन लेयर यह Ensure करती है कि Data, End (Receiver) तक पहुंच जाए।

इसके अलावा यह लॉजिकल पोर्ट (Logical Port)  भी डाटा को Send करने के लिए उपलब्ध कराता है बहुत सारे हमारे पास Logical Port होते हैं जैसे Files ट्रांसमिशन के लिए, Files  को Receive आदि  करने के लिए लॉजिकल पोर्ट भी इसी लेयर पर मिलते हैं।

यह लेयर बहुत सारे कंप्यूटर या मोबाइल के बीच संपर्क स्थापित कराकर System के बीच में संचार(Communication) के लिए Session उपलब्ध कराता है।

एक उदाहरण से आपको  सामान्य शब्दों में समझाते हैं जब आपने यह वेबसाइट ( QnA Hindi Me ) Open की तो आपके कंप्यूटर या मोबाइल System और वेबसाइट ( QnA Hindi Me ) के Server के बीच में एक Session का निर्माण होता है और आप वेबसाइट पर कुछ भी देख पाते हैं या पढ़ पाते हैं।

अर्थात इस Layer का यही काम होता है कि किस प्रकार संपर्क स्थापित कराना है या संपर्क बनाए रखना है या संपर्क को खत्म करना है।

यह Layer सिंक्रोनाइजेशन (एक के बाद एक अर्थात क्रम में) के कार्य के साथ-साथ Dialog कंट्रोलर की भांति भी कार्य करता है और जब भी Transmission में Error आता है तो दोबारा ट्रांसमिशन कराता है।

  1. ट्रांसपोर्ट लेयर -What is Transport Layer in hindi

इसलिए के माध्यम से Files को टुकड़ों (Segments)  में बांटा जाता है इस Layer  दो बड़े-बड़े प्रोटोकोल, TCP एंड UTP काम करते हैं [ट्रांसमिशन कंट्रोल प्रोटोकोल (Transmission Control Protocol)  और यूजर डाटा प्रोटोकोल (User Data Protocol) ]

आपको जब भी डाटा Re-Transmission करना हो या डाटा का Acknowledgement चाहिए अर्थात डाटा सही जगह पहुंचा कि नहीं एवं आप डाटा के Loss होने से बचना चाहते हैं तो आपको TCP के प्रयोग करना होगा।

अगर आप चाहते हैं कि डाटा का Fast, Transmission हो, भले ही डाटा का Loss हो जाए एवं रि-ट्रांसमिशन (Re-Transmission)  से बचना चाहते हैं।

या YouTube पर वीडियो देखना चाहते हैं Voice Call या Video Call करना चाहते हैं उस समय आप UTP का प्रयोग करेंगे क्योंकि यह Fast होता है एवं Real Time में काम करता है।

इसी Layer में नेटवर्क के माध्यम से डाटा का सही तरीके से एक कंप्यूटर (System)से दूसरे कंप्यूटर (System) में भेजा जाता है।

यह लेयर, नेटवर्क लेयर से डाटा को प्राप्त कर के छोटे-छोटे टुकड़ों में बांटकर क्रम (Sequence) में भेज देता है ।

यह लेयर से फ्लो कंट्रोल (Flow Control), एरर हैंडलिंग (Error Handling) और ट्रांसमिशन (Transmission) में जो भी समस्या आती है उसका समाधान करती है।

और यह भी Ensure करती है कि डाटा Error Free जाए और कोई भी Loss ना हो एवं डाटा क्रम (Sequence) में भेजता है तथा डाटा को डुप्लीकेशन (Duplication) ना हो।

 

  1. नेटवर्क लेयर What is Network Layer in hindi

IP Address  एवं Router इसी Layer पर काम करते हैं अर्थात स्विचिंग (Switching) एवं रूटिंग (Routing) तकनीक का प्रयोग  Network Layer पर किया जाता है एवं नेटवर्क लेयर ही  IP address (Logical Address) को उपलब्ध कराती है।

राउटर इसी Layer पर काम करते हुए निर्णय लेता है कि हमारा Data Packet (डाटा का समूह) एक स्थान (Source) से दूसरे स्थान (Destination) तक किस रास्ते से होता हुआ जाएगा और यह Data Packet पहुंचाने का कार्य Network Layer का होता है ।

इसी Layer के माध्यम से अलग-अलग Device में Logical Connection स्थापित हो पाता है एवं इसी Layer के माध्यम से Frame के Header में डेस्टिनेशन एड्रेस (Destination Address) एवं  सोर्स एड्रेस (Source Address) को जोड़ती है इसी एड्रेस (Address) के माध्यम से इंटरनेट से जुड़ी Device का पहचान करने में मदद मिलती है।

 

  1. डाटा लिंक लेयर -What is Data Link Layer in hindi

डाटा लिंक लेयर (Data Link Layer) में डाटा में एरर (Error) को पहचानकर कंट्रोल एवं Error Correction करने की क्षमता होती है और यह लेयर, फ्लो कंट्रोल (Flow Control) का भी काम करती है ।

अर्थात डाटा को Corrupt होने से बचाने के लिए सेंडर (Sender) एवं रिसीवर (Receiver) दोनों End पर एक नियत डाटा रेट को बनाए रखने के लिए भी काम करती है।

एवं Data Error से बचाने के लिए CRC (Cyclic Redundancy Check) को जोड़ा जाता है Data Error एवं Data Corrupt होने से बचाने के साथ-साथ डिवाइस एक्सेस कंट्रोल (Device Access Control) का भी काम करती है।

सरल भाषा में आपको बता दें कि जब दो या दो से अधिक डिवाइस के बीच में संचार (Communication) स्थापित होता है तो डाटा लिंक लेयर यह निर्धारित करती है कि कौन सी डिवाइस  को एक्सेस (Access) दिया जाए।

  1. फिजिकल  लेयर- What is  Physical Layer in hindi

फिजिकल लेयर में सभी फिजिकल डिवाइस आते हैं इस Layer के माध्यम से ही Sender End पर Bits को सिग्नल (Signals) में बदल देता है एवं रिसीवर(Receiver) End पर वही सिग्नल (Signals) को Bits में परिवर्तित करता है।

और जो भी मीडिया (Media) हम लोग प्रयोग में लाते हैं चाहे वह Wired  हो या  वायरलेस कम्युनिकेशन (Wireless Communication) हो, का विस्तार से यही लेयर वर्णन करती है।

फिजिकल लेयर को  Transmission End पर सबसे आखरी तथा रिसेप्शन (Reception) End पर पहली लेयर माना जाता है ।

इसलिए के अंतर्गत केबल (Cable), कनेक्टर (Connector), फिजिकल टोपोलॉजी (Physical Topology), Hardware  (उदाहरण Repeater,   Hub etc.) आदि आते हैं ।

OSI Layers का क्रम क्या है – What is Sequence of OSI Layers in hindi

दोस्तों अक्सर आप में से बहुत से लोगों को Doubt होता होगा कि वह OSI लेयर का क्रम क्या है (What is Sequence of OSI Layers) अथवा OSI लेयर किस क्रम में होती हैं जैसा कि आपको पता है कि इस मॉडल में 7 लेयर होती हैं  ।

जो इस क्रम में  हैं एप्लीकेशन लेयर (Application Layer), प्रेजेंटेशन लेयर (Presentation Layer), सेशन लेयर ( Session Layer), ट्रांसपोर्ट लेयर (Transport Layer), नेटवर्क लेयर (Network Layer), डाटालिंक लेयर (DataLink Layer), फिजिकल  लेयर (Physical Layer) ।

तो इन लेयर का कोई निश्चित क्रम में बताना उचित नहीं होगा,  इन लेयर का क्रम अगर नॉन टेक्निकल भाषा में एक उदाहरण से समझे  ।

जैसे कि आप घर में कई अलग-अलग कमरों में  अंदर वाले कमरे से होते हुए, घर के दरवाजे से बाहर जाएंगे ।

फिर घर के दरवाजे से होते हुए उसी विपरीत क्रम में सबसे अंदर वाले कमरे में जाएंगे तो आप पाते हैं कि कमरों का क्रम, अंदर से बाहर  और बाहर से अंदर, अलग-अलग हो जाएगा ।

इसी प्रकार Transmission End पर इन Layers का क्रम एप्लीकेशन से फिजिकल लेयर (Application Layer To Physical Layer ) होगा और Reception End पर इनका क्रम फिजिकल लेयर से एप्लीकेशन लेयर (Physical Layer To Application Layer) होगा ।

निष्कर्ष

दोस्तों मैं आशा करता हूं कि मेरा यह आर्टिकल OSI मॉडल क्या है एवं OSI मॉडल की Layers को आपने अच्छे से समझ लिया होगा और आपको पसंद भी आया होगा ।

मेरी हमेशा से कोशिश रहती है कि अपने Viewers को समय की बचत और पूरी जानकारी का ध्यान में रखते हुए अच्छा आर्टिकल Provide किया जाए ।

जिससे सभी Information मिल सके और सारे Doubt, Clear हो सके ।

अगर फिर भी कोई Doubt है या आप चाहते हैं कि आर्टिकल में कुछ सुधार होने की गुंजाइश है तो आप हमें नीचे कमेंट लिख कर बता सकते हैं।

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